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कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं,
कि परेशान लोग उन्हें देख कर खुश हो जाते हैं,
उनकी बातों का अजी क्या कहिये,
अल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं।
ये चाँद सा रोशन चेहरा जुल्फों का रंग सुनहरा,
ये झील सी नीली आंखे कोई राज हैं इनमे गहरा,
तारीफ़ करू क्या उसकी जिसने तुम्हे बनाया।।
कुछ फिजायें रंगीन हैं, कुछ आप हसीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।
रोज इक ताज़ा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है।
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